थायरॉइड की समस्या क्या है और इसे कैसे नियंत्रित करें
जानिए थायरॉइड की समस्या क्या है, इसके प्रकार, लक्षण और आयुर्वेदिक व घरेलू नुस्खे। अश्वगंधा, गुग्गुल, कांचनार गुग्गुल, ब्राह्मी और योग से थायरॉइड को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करें।

थायरॉइड की समस्या क्या है और इसे कैसे नियंत्रित करें

Team Ayush Health Site 1.14pm, Friday, September 19, 2025.

थायरॉइड की समस्या क्या है और इसे कैसे नियंत्रित करें – Thyroid Ki Samasya Kya Hai Aur Isey Kaise Niyantrit Karein?

क्या होता है थायरॉइड रोग – Kya hota hai thyroid rog?

हमारी गर्दन के सामने तितली के आकार की एक छोटी ग्रन्थि होती है जिसे थायरॉइड कहते हैं। ये ग्रन्थि बॉडी के लिए ज़रूरी हार्मोन बनाती है और इन्हें शरीर में छोड़ती है। ये हार्मोन मेटाबॉलिज्म और शरीर के विकास और वृद्धि के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं। जब ये थायरॉइड ग्रन्थि ठीक से काम नहीं करती तो इसे थायरॉइड रोग कहा जाता है। इससे हार्ट से जुड़ी दिक्कतें बढ़ सकती हैं साथ ही सांस लेने और निगलने में परेशानी हो सकती है। इसलिए, ये जानना बहुत जरूरी है कि थायरॉइड की समस्या क्या है और इसे कैसे नियंत्रित करें।

थायरॉइड रोग कितने टाइप का होता है – Thyroid rog kitne type ka hota hai?

इसके दो ख़ास टाइप होते हैं –

  • हाइपरथायरायडिज्म (अतिसक्रिय थायरॉइड): इसमें थायरॉइड ग्रन्थि ज़रूरत से ज़्यादा हार्मोन बनाती है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज़ हो जाता है।
  • हाइपोथायरायडिज्म (कमसक्रिय थायरॉइड): इसमें थायरॉइड हार्मोन की कमी होती है, जिससे मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है।

थायरॉइड रोग को कैसे पहचाने – Thyroid rog ko kaise pahchaane?

हाइपरथायरायडिज्म (अतिसक्रिय थायराइड) के लक्षण:

  • थकान और मांसपेशियों में कमजोरी
  • वजन कम होना
  • हार्ट बीट तेज़ होना
  • घबराहट, चिंता और चिड़चिड़ापन
  • कंपन
  • गर्मी के प्रति सेन्सिटिविटी
  • बढ़ी हुई थायरॉयड ग्रंथि
  • पीरियड्स में बदलाव
  • बालों का पतला होना

हाइपोथायरायडिज्म (अल्पसक्रिय थायराइड) के लक्षण:

  • थकान और सुस्ती
  • वजन बढ़ना
  • ठंड के प्रति सेन्सिटिविटी
  • कब्ज
  • रूखी और खुरदरी त्वचा
  • बालों का पतला होना
  • डिप्रेशन और मेमोरी में कमी
  • मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी
  • गर्दन में सूजन

थायरॉइड की समस्या को कैसे नियंत्रित करें – Thyroid ki samasya ko kaise niyantrik karein?

मॉडर्न ट्रीटमेंट में इस बीमारी के इलाज के लिए जीवनभर अंग्रेज़ी दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है जिनके साइड इफेक्ट भी ज़्यादा हो सकते हैं लेकिन, आयुर्वेद इस बीमारी का जड़ से इलाज कर सकता है वो भी बिना साइड इफेक्ट के। जिसके लिए नीचे दी गई ईन आयुर्वेदिक दवाओं को किसी अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए।

  • अश्वगंधा: यह हाइपोथायरॉइड के लिए बेहद असरदार है। इससे स्ट्रेस कम होता है, हार्मोन बैलन्स होते हैं और थायरॉइड ग्रंथि की ऐक्टिविटी बढ़ती है।
  • गुग्गुल: इसमें "गुग्गुलस्टेरोन" नामक तत्व होता है जो थायरॉइड हार्मोन को ऐक्टिव करता है। यह मेटाबॉलिज्म तेज करता है और मोटापा कंट्रोल करता है।
  • कांचनार गुग्गुल: यह थायरॉइड ग्रंथि की सूजन और गांठ में उपयोगी है जो हाइपोथायरॉइड और हाइपरथायरॉइड दोनों स्थितियों में फायदेमंद है।
  • ब्राह्मी: इससे मेंटल स्ट्रेस और चिंता कम होती है। हाइपरथायरॉइड में मन को शांत करती है।
  • शंखपुष्पी: यह मेंटल हेल्थ व नींद में सहायक है। थायरॉइड के कारण होने वाली मानसिक बेचैनी को कम करती है।
  • त्रिफला: इससे शरीर से ज़हरीले तत्त्व (टॉक्सिन्स) बाहर निकलते हैं और पाचन तंत्र मजबूत होता है।

थायरॉइड में काम आने वाले घरेलू नुस्खे – Thyroid mein kaam aane wale gharelu nuskhe

आम तौर पर ईन घरेलू नुस्खों को अपनाया जा सकता है –

  • सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना।
  • रोज़ ध्यान और योगासन करना।
  • 1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाकर पीने से हाइपोथायरॉइड में फायदा मिलता है।
  • फ्लैक्ससीड (अलसी) का सेवन हार्मोन बैलेंस करने में मदद करता है।
  • हाइपरथायरॉइड वाले लोग कैफीन और तीखे मसाले से परहेज़ करें।

FAQs

थायरॉइड की जांच कैसे की जाती है – Thyroid ki jaanch kaise ki jaati hai?

खून की जांच (T3, T4 और TSH टेस्ट) से थायरॉइड की समस्या का पता चलता है।

थायरॉइड के मरीजों को क्या खाना चाहिए – Thyroid ke mareejo ko kya khaana chahiye?

हाइपोथायरॉइड में साबुत अनाज, दालें, हरी सब्जियां, फल जैसे सेब, अमरूद, पपीता खाना चाहिए। हाइपरथायरॉइड में अखरोट, बादाम, कद्दू के बीज, अलसी के बीज, ताजे फल (सेब, केला, संतरा), हरी सब्जियां, साबुत अनाज, और दालें आदि खाना चाहिए। साथ ही कैफीन व जंक फूड से परहेज।

थायरॉइड का आयुर्वेदिक इलाज क्या है – Thyroid ka ayurvedic ilaj kya hai?

अश्वगंधा, गुग्गुल, कांचनार गुग्गुल, ब्राह्मी और त्रिफला जैसी जड़ी-बूटियां अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में लेने से थायरॉइड को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।

क्या थायरॉइड की बीमारी ठीक हो सकती है – Kya thyroid ki bimari theek ho sakti hai?

आधुनिक चिकित्सा में यह लंबे समय तक दवाओं से कंट्रोल होता है। जबकि आयुर्वेदिक और प्राकृतिक तरीकों से लाइफस्टाइल सुधारकर इसे बैलन्स किया जा सकता है।

आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि थायरॉइड की समस्या क्या है और इसे कैसे नियंत्रित करें। लेकिन, आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को थायरॉइड की समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या आयुष हेल्थ साइट में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें आयुष हेल्थ साइट के साथ।


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